नए डॉग पैरंट बने हैं तो उसके जज्बात भी तो समझिए

नए डॉग पैरंट्स के दिमाग में हमेशा ये ही सवाल कौंधता रहता है कि आखिर हमारा पेट हमसे क्या कहना चाहता है या फिर ये अपनी पूंछ क्यों हिला रहा है? आप उसके बिहेवियर से आसानी से जान सकते हैं कि वह इस वक्त खुश है या परेशान है:
कहते हैं डॉग इंसान का सबसे अच्छा और ईमानदार दोस्त होता है। अब डॉग सिर्फ पेट ही नहीं रहा बल्कि घर का सदस्य बन गया है। ऐसे में अगर आप अपने घर के सदस्य की बात या उसके हावभाव ही नहीं समझेंगे, तो फिर कैसे निभेगा पेट पैरंट का ये रिश्ता? तो चलिए जानते हैं क्या कहना चाहता है आपका डॉग।
मूडी और इमोशनल होते हैं डॉग
कई रिसर्च से पता चला है कि कुत्ते इंसानों खासकर टीनेजर्स की तरह न सिर्फ मूडी होते हैं, बल्कि छोटे बच्चों की तरह इमोशनल भी होते हैं। इन रिसर्चों में पता चला है कि इनके ब्रेन की बनावट इस मामले में इंसानों से मेल खाती है और उनके ब्रेन में भी ठीक वैसे ही केमिकल चेंज होते हैं, जैसे किसी इमोशनल बच्चे के दिमाग में होते हैं। यह भी पाया गया है कि इनके दिमाग में भी दूसरों के लिए प्यार और ममता जैसे भावों के दौरान ब्रेन में बनने वाला केमिकल ऑक्सिटॉसिन बनता है। लेकिन इनके हर तरह के इमोशन को समझने के लिए फिर भी इंसान को थोड़ी मेहनत करनी होगी। एक वयस्क आदमी के बजाय कुत्ते का बिहेवियर एक दो साल के बच्चे की तरह होता है।
हमेशा पेट से हंस कर मिलें
कुत्ते बेहद सेंसिटिव होते हैं। उनके सामने आपका बिहेवियर कैसा है, यह बहुत मायने रखता है। जिस तरह एक दो साल का बच्चा आपकी तरफ अपनी हर जरूरत के लिए देखता है, उसी तरह कुत्ते का बिहेवियर आप पर डिपेंड करता है। आपके पॉजिटिव और नेगेटिव इमोशन का उस पर बहुत बड़ा असर पड़ता है। कुत्ते इंसान की बॉडी लैंग्वेज समझने के काबिल भी होते हैं, इसलिए जरूरी है कि आप जब भी अपने पेट से मिलें तो हंस कर मिलें। अगर आप गुस्से में अपने कुत्ते को डांटते हैं और उसने अपना सिर झुका लिया है तो यह मत समझिए कि वह गिल्ट महसूस कर रहा है। इसका मतलब होता है कि वह आपके गुस्से को महसूस कर रहा है। इसलिए कुत्ते से नाराज होने पर डांटना अवॉइड ही करें, क्योंकि वह इसे नहीं समझता।
इंसानों का खाना देना लाड़-प्यार नहीं
डॉग को भी इंसानों की तरह ही कंप्लीट और बैलेंस डाइट की जरूरत होती है। यह पता लगाना कि आपके डॉग के लिए क्या अच्छा रहेगा बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि डॉग्स भी आपके बच्चों की तरह ही इमोशनल होते हैं, जबकि उनकी खाने-पीने की जरूरतें हमसे बेहद अलग होती हैं। हम लोग सोचते हैं कि हम खुद जो खाते हैं, वहीं अपने पेट को देकर हम उससे लाड़ जता रहे हैं। जबकि यह एकदम गलत है। किसी बच्चे की तरह ही डॉग को भी प्रॉपर डाइट चाहिए होती है, जिससे उन्हें अपनी शारीरिक रचना के मुताबिक पोषण की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिले। क्या आपको पता है कि डॉग्स को अपनी डाइट में विटमिन सी की जरूरत नहीं होती, क्योंकि वे इसे खुद बना लेते हैं। जबकि वे विटामिन डी नहीं बना सकते, इसलिए उन्हें अपनी डाइट में इसकी जरूरत होती है। छोटे डॉगी को एक बच्चे के मुकाबले में तीन से चार गुना प्रोटीन और 50 गुना ज्यादा आयरन चाहिए होता है।
उसकी आंखों में देखें
आंखें आत्मा के आइने की तरह होती हैं। अमेरिकन सोसायटी फॉर द प्रिवेंशन टु क्रुअलटी टु एनिमल्स के मुताबिक, अगर आपका कुत्ता खुश और आराम में नजर आ रहा है, तो उसकी आंखें नॉर्मल शेप में होंगी। जब आपका कुत्ता अलग-अलग गतिविधियों में मशगूल होता है, तब उसकी नजरों की तरफ ध्यान देना चाहिए। अगर उसकी आंखें सामान्य से बड़ी हैं, तो वह तनाव में हो सकता है या उसे किस चीज का डर भी हो सकता है।
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