
हम सभी को अपने पेट्स की सेहत का ख्याल रहता है। वह हमेशा अच्छा व्यवहार करें और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहे, हर पेट पैरंट ये ही चाहता है। ऐसे में अरोमा थेरपी पेट्स की सेहत और मूड को दुरुस्त रखने में मदद कर सकती है। आइए जानते हैं अरोमा थेरपी के बारे में:
Gaurav.Khare@timesgroup.com
ज के जमाने में खुद को स्वस्थ रख पाना बेहद मुश्किल टास्क हो गया है। ऐसे ही पेट पैरंट्स भी अपने पेट की सेहत को लेकर फिक्रमंद रहते हैं। किसी को लगता है कि उनके पेट का व्यवहार ठीक नहीं हे, तो कई बार पेट शारीरिक समस्याओं से भी जूझता रहता है। ऐसे में अरोमा थेरपी के जरिए उनका इलाज किया जा सकता है।
क्या है अरोमा थेरपी
एसेंशियल ऑयल को हम अपनी लाइफ में 6000 सालों से प्रयोग कर रहे हैं। इंसान अपनी शारीरिक और मानसिक समस्याओं को लेकर इसका थेरपी के रूप में प्रयोग करता रहा है। लेकिन अब ये थेरपी पेट्स के लिए भी फायदेमंद साबित हो रही है। अरोमा थेरपी एसेंशियल ऑयल थेरपी होती है। ये एक हॉलिस्टिक हिलिंग ट्रीटमेंट है। इसमें तरह-तरह की एंटी माइक्रोबल एक्टिविटी पाई जाती हैं। जिसका यूज पेट्स की तरह-तरह की समस्याओं में कर सकते हैं और पेट को बेहतर जीवन दे सकते हैं। इसमें कुछ खास तेल, सुगंधित पौधों की छाल, फूल, छिलका, जड़, तना या लकड़ी का अर्क प्रयोग में लाया जाता है।
पेट का बदल सकता है व्यवहार
ये थेरपी जैसे इंसानों की लाइफ में बड़ा बदलाव लेकर आई है, वैसे ही इसके जरिए पेट्स की मानसिक और शारीरिक समस्याओं को लाभ पहुंचा है। इस थेरपी के जरिए पेट्स का व्यवहार और शारीरिक समस्याओं को ठीक करने में मदद मिलती है। साथ ही एंटी माइक्रोबल एक्टिविटी के कारण ये हमें वायरल, माइक्रोबाइल, बैक्टीरिया, सूजन, क्रीड़े जैसी कई परेशानियों से बचाव का विकल्प भी है। ये थेरपी तीन तरह से की जाती है। जिसमें पहले मालिश करते हैं, दूसरा क्रीम, लोशन आदि का इस्तेमाल और आखिर में स्प्रे, स्टीम आदि दिया जाता है। ये एक तरह की कॉम्पिलिमेंट्री थेरपी होती है। जैसे कि इलाज के बाद किसी पेट को दर्द हो रहा है या जुकाम आदि की परेशानी होती है, तो अरोमा थेरपी देने से ये तकलीफ कम हो सकती है। अगर कोई डॉग किसी तनाव में है या उसका पाचन तंत्र बिगड़ा हुआ है तो भी ये थेरपी काम आ सकती है। और भी कई तरह से ये थेरपी लाभ पहुंचाती है।
ऐसे करता है काम
अरोमा थेरपी के जरिए खुशबू नाक या मुंह के द्वारा पेट के अंदर पहुंचती है। इसके बाद वह सीधे पेट के लंग्स में जाती है और वहां से शरीर के दूसरे हिस्से में पहुंचती है। इसके बाद जब ये खुशबू पेट के ब्रेन तक पहुंचती है, तब ये पेट्स के लिबिंग सिस्टम पर असर डालती है, जो कि पेट के हार्ट, इमोशंस, ब्लड प्रेशर, मेमोरी, सांसों आदि के साथ जुड़ा होता है। इस तरह ये थेरपी काम करती है।
Post a Comment
You must be logged in to post a comment.